एक है सुमेरा...
सुमेरा उस वक्त के संघी और IIMC के पहले साथी रवि पारीक के साथ फेसबुक पर बहस हो रही थी। बीच में ये भी मजे ले रहा था। मुझे नहीं पता था ये भी IIMC का ही नमूना है। पता नहीं कब लिस्ट में आ गया था। खैर हम दिल्ली पहुंचे। साथ में रहने के बारे में कुछ बात हुई थी लेकिन बात बन नहीं पाई।ये विष्णु भैया के साथ रहने लगा।IIMC शुरू होने के एक दो दिन पहले देर शाम इनबॉक्स में एक मैसेज आया, गंगा ढाबा आ सकते हो क्या? समय था लेकिन काम का बहाना बनाकर मना कर दिया। पहले दिन क्लास में मिले। रवि की तरफ इशारा करते हुए इसने कहा कि अपने दोस्त से मिल लो और हंसने लगा। वो बहस इसको याद थी। ज्यादा किसी से पहचान नहीं हुई थी लेकिन जब बातचीत शुरू हुई तो पता चला जिनको ये जानता है उन्हें मैं भी अच्छे से जानता हूं। जे भैया को अच्छे से जानता था। उनको एडमायर करता था। इसी बहाने और भी बातें होतीं। चेहरे पर घनी दाढ़ी, कंधे पर झोला लटकाए, माइनस चेचिस की शरीर लिए डरा सहमा एकदम पीछे हमारे साथ ही बैठता था। छुट्टी होने के बाद मुझे कटवारिया जाना होता लेकिन इसे छोड़ने के बहाने बहाने पूर्वांचल निकल जाता था।...