All those born in 80s, unhide your year of birth on Facebook. You're officially old now.
पंचायत चुनावों की जातिगत राजनीति और उसके ख़तरे
पम्फ्लेट्स पर जाति का विशेष तौर पर उल्लेख समय बहुत तेज़ी से बदल रहा है। देश में तरक्की और विकास की बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं। लेकिन आज भी जाति जैसी गंभीर समस्या का कोई हल नज़र नहीं आ रहा। हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनावों में इसका असर साफ़ देखने को मिला। जहाँ उम्मीदवार प्रचार करने के लिए पोस्टरों और बैनरों पर विशेष तौर पर अपनी जाति का उल्लेख करके अपनी बिरादरी के वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश हुए नज़र आये। पंचायत चुनावों में धनबल का प्रयोग तो होता ही है। लेकिन जाति को भी चुनाव जीतने का महत्वपूर्ण हथियार माना जाता है। वोटरों को साड़ी से लेकर शराब का वितरण धड़ल्ले से किया जाता है। एक समय हमारे पारंपरिक समाज में सिर्फ उच्च जाति के लोग ही नाम के आगे जाति लिखकर शक्ति,सम्मान हासिल करने की कोशिश करते थे। लेकिन अब तथाकथित नीची जाति के लोग भी नाम के आगे जाति लिखकर अपने उन्हीं की राह पर चल पड़े हैं। खास बात तो यह है कि जिन उम्मीदवारों के अधिकारिक नाम के आगे उनकी जाति नहीं लिखी होती है वे भी अपनी जाति का ज़िक्र ख़ास तौर पर पोस्टर और पम्प्लेट्स पर करते हैं। कुछ लोग नाम के आगे सम्मानजनक टाइ...
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