झूठी मुस्कुराहटें
दुनिया की नज़र में जिनके पास सब कुछ होता है वे भी अक्सर दिल में खालीपन समेटे जीते रहते हैं। किसी के लिए 'सब-कुछ' उनके लिए 'कुछ नहीं' होता और जो सब कुछ होता है वो दुनिया के लिए कुछ नहीं होता। बेनाम से रिश्तों में बुने गए ख़्वाब टूटने के बाद उदासियों के नाम पूरी वसीयत लिखकर चले जाते हैं। ऐसे ही कुछ ख़्वाब कभी उसके लिए जीने का सबब हुआ करते थे, आज खुद से नाराज़गी की इकलौती वजह हैं। पहले बनाने की लाख कोशिश की थी तो कुछ हासिल नहीं हुआ, अब भुलाने कोशिश करके ख़ुद को ही दोहरा रहा हूं। असल में हम भूलते कुछ नहीं हैं, बस यादों के धागों में बुने रिश्तों के मायने खत्म हो जाते हैं। लेकिन मायने खत्म होने के बाद भी अगर यादें वैसी की वैसी बनीं रहें तो!