काठगोदाम से नैनीताल
इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए क्लिक करेें... हमारी कार में पीछे एक नवयुगल शायज नवदंपत्ति थे और बुढ़िया मां बैठी थीं। जो पीछे युवक बैठा था उसे रास्ते में उल्टियां होने लगीं तो कार वाले ने दो तीन बार रोका। घंटे भर बाद हम नैनीताल में थे। जब सब कार से उतर गए तो ड्राइवर ने मुझसे कहा आपको कहां जाना है, मैंने कहा, नैनीताल आ गया। उसने कहा- हां। मैं अच्छा कहते हुए कार से उतर गया। उतरते ही बहुत तेज ठंड हवा का झोंका मुझे छूकर गया। मन प्रसन्न हो गया, लेकिन थोड़ी ही देर में मैं कांपने लगा। मेरे पास सिर्फ एक हूडी थी। और वह मुझे नैनीताल की ठंड से बचाने के लिए नाकाफी थी। दो चार कदम चलने पर माल रोड था। वहीं पर एक चाय-सिगरेट की दुकान दिखी। मसाला मस्त चाय ऑर्डर की। किसी तरह खत्म की। सुबह हो गई थी, लेकिन सूरज का निकलना बाकी था। तब तक वहीं बैठकर और चाय पीता रहा और गूगल पर देखता रहा कि कहां-कहां घूमा जा सकता है। जब पहले से कुछ खास प्लानिंग न हो तो सोलो ट्रेवलिंग में यही होता है। आपको एंड मौके पर डिसाइड करना होता है कि जाना कहां है। मैंने कुछ जगहें देखीं और फिर फ्रेश होने के लिए इंतजाम तलाशने