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सितम्बर के महीने में मैंने एक स्टेटस  लिखा था ऑस्कर में नॉमिनेशन के लिए फिल्म फेडरेशन ऑफ़ इंडिया में भेजी गयी। फिल्मों के विषय पर। सूची में गीतू मोहनदास की लायर्स डायस,शाहिद,मर्दानी,क्वीन,मैरीकॉम,यंगिस्तान और टू स्टेट्स जैसी फ़िल्में थीं।हालांकि मैंने उस स्टेटस को हटा दिया था क्योंकि फिल्म के निर्देशक अपनी फ्रेंडलिस्ट में हैं। ख़ैर आज कई लोगों को इस पर बात करते हुए देखा कि यंगिस्तान फिल्म के ऑस्कर नॉमिनेशन के लिए भेजा गया है। कई लोग पूर्ण जानकारी के आभाव में भ्रमित हैं। दरअसल ऑस्कर में 'बेस्ट फ़ॉरेन लैंग्वेज फिल्म केटेगरी के लिए भारत की तरफ से अधिकारिक रूप से जिस फिल्म को चुना गया है वो गीतू मोहनदास की निर्देशित फिल्म 'लायर्स डाइस' है।जिसमे  मुख्य भूमिका में नवजुद्दीन और गीतांजलि थापा। हैं। यंगिस्तान को इंडिपेंडेंट रूप से भेजा गया है। ख़ैर अब बात करते हैं ऑस्कर अवार्ड के लिए भारतीय फिल्मों की स्थिति पर। भारत में प्रत्येक वर्ष तकरीबन 35 भाषाओँ में 1500 फ़िल्में बनती हैं। इस वर्ष 37 भाषाओँ में कुल 1778 फ़िल्में सर्टिफिकेशन के लिए आयीं।जो कि पूरी दुनिया में बनने वाली कुल फिल्मों

आगरा मथुरा यात्रा

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फरवरी में 23  को ताजमहल और 24 को स्वामी बालेन्दु जी से मिलने मथुरा (वृन्दावन) जाने का प्लान बनाया। 'मथुरा' वृन्दावन, स्वामी जी से मिलने वो भी मुझ जैसा नास्तिक। दरअसल स्वामी बालेन्दु जी कोई बाबा वाले स्वामी नहीं हैं, हालांकि वह पहले धार्मिक बाबा ही थे लेकिन अब घोर नास्तिक हो गए हैं। मैंने उन्एहें पहले ही बता दिया था कि मथुरा आगरा के बाद मथुरा आउंगा। लेकन दिन भर आगरा घूमने के बाद सोचा कि यदि आज ही मथुरा निकल लिया जाए तो अच्छा रहेगा। हालांकि मैंने बालेंदु जी से अगले दिन आने को कहा था इसलिए एक बार पूछना जरूरी समझा। मैंने पूछा कि रात तक पहुंचने  पर कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी। उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं आ जाओ मैंने आगरा कैंट स्टेशन से मथुरा जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। करीब एक घंटे पश्चात रात्रि 7 बजे मैं मथुरा जंक्शन स्टेशन पर था। मथुरा स्टेशन से बाहर निकलने पर वृन्दावन की और जाने वाले ऑटो पर बैठ गया। करीब आधे घंटे के सफर के बाद मैं परिक्रमा मार्ग पर था। वहां पर पूछते-पूछते मैं स्वामी बालेन्दु जी के आश्रम के पास पहुँच गया, आश्रम के गेट पर गार्ड ने रोक कर आने का कारण पूछा तो मैंन