कहानी खत्म है, या शुरुआत...होने को है



हमारी सबसे हसीन चाहतें, ख्वाहिशें अगर न पूरी हो पाएं तो क्या होगा? हम जिस मुकाम को हासिल करना चाहते हैं वो नहीं मिल पाया तो क्या होगा? हमारा प्यार अधूरा रह गया तो...! जिंदगी में इक्कीसवें पड़ाव के थोड़ा आगे बढ़ने पर अक्सर ऐसे न जाने कितने ख्याल हमारे जेहन में धीरे-धीरे अपनी मौजूदगी बनाने लगते हैं। सपने देखने की उम्र में कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि हमारे सपनों की दुनिया हकीकत में न बदल पाए। लेकिन जब असल दुनिया से वास्ता होता है और मुश्किल की बर्फीली बूंदें हमारे हसीन ख्वाब देखने वाली आंखों पर पड़ती है तो अचानक से हम कल्पनाओं की दुनिया से बाहर आ जाते हैं। उस वक्त हकीकत वाली जिंदगी बड़ी बेदर्द नजर आती है और हमें बेदम कर देती है। फिर हमें नहीं सूझता कि इस लम्हें में क्या कर बैठें। फिर समझ आता है कि उदासी क्या होती है।

दिल भारी हो जाता है और बिस्तर पर लेटे दिन कट जाता है। मैं अक्सर इन लम्हातों से गुजरता हूं। खुद को इन सब मामलों में काफी मजबूत समझने के बाद भी उस वक्त नहीं सूझता कि इस लम्हे से बाहर कैसे निकला जाए। नहीं समझ आता कि आगे के पल हमसे काटे भी जाएंगे या नहीं। लेकिन पता है हमें उस वक्त थोड़ी सी हिम्मत की जरूरत होती है। बस थोड़ी सी हिम्मत। अपनी बहुत सी छोटी सी जिंदगी के कुछ अनुभवों से कह सकता हूं कि वो थोड़ी सी हिम्मत हमें फिर से वैसे ही जीने को मजबूर कर सकती है। आपको बस समझना होगा कि जो लोग बड़े ख्वाब देखते हैं उनके साथ ये अक्सर होता रहता है। आपको डर लग रहा है, ये इस बात का सबूत है कि आपके अंदर किसी चीज को हासिल करने की कितनी बेताबी है। आप उसके बिना अपनी लाइफ इमैजिन ही नहीं कर सकते। 




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